"ज्यादा मेहनत ज्यादा कमाई" - सही या ग़लत निर्णय आपका

ज्यादा मेहनत से ज्यादा कमाई पुरानी धारना है। आपने अपने  बड़े लोगों जो आपके धर-परिवार या रिश्तेदार कोई भी हो यही कहते सुना होगा। और दोस्तों ये सही भी है क्योंकि उनके समय में इतने रोजगार के अवसर व साधन उपलब्ध नहीं थे। लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में अमीरी का यह पुराना तरीका है।

आज का वैज्ञानिक युग व आज के युवा "मेहनत से ज्यादा कमाई" की बात को सिरे से गलत साबित करते है।

लेकिन यहां पर मैं एक बात आप लोगों को साफ कर दूं कि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप मेहनत करना छोड़ दें। यहां पर बस इतना कहा गया है कि आज का नवयुवा कठिन परिश्रम से ज्यादा स्मार्ट वर्क पर ध्यान देने लगा है और इस तरह काम करके उसने इस पुरानी धारणा को ग़लत साबित किया है।

आज के इस वैज्ञानिक युग में अमीर बनने का
तरीका न्यूनतम मेहनत के साथ बेहतर कीमत पर अधिक से अधिक लोगों के लिए करना है। और अगर आपको जीवन में सफलता के स्तर को बढ़ाना है तो आपको यही करना चाहिए।

चलिए इस बात को हम छोटे से उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं।

जैसे 40 - 40 स्टूडेंट्स की 10 क्लासेज लेने वाला प्रोफेसर 1 सेटेलाइट क्लास देकर 700 या उससे भी ज्यादा स्टूडेंट्स को एक साथ पढ़ाता है और ढेरों गुना ज्यादा कमाता है उस प्रोफेसर से जो आज भी उसी कहावत को पकड़ कर बैठा है कि  "ज़्यादा मेहनत से ज्यादा कमाई होती है"।

उम्मीद है आप लोग कुछ समझ गये होंगे।

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