ज़िन्दगी को गलत नंबर के चश्मे से मत देखिये

हो सकता है ये छोटा सा नज़र आने वाला अवसर ही बड़ा अवसर हो और आप  इस ताक में बैठे हो  कि कोई बड़ा अवसर मिले और मेरे वारे- न्यारे हो जाये .

अगर गौर करें तो अवसर सिर्फ एक तटस्थता भरी परिस्थिति  है वे आपके प्रयास है जो इनमे रंग भरते है या इन्हे बदरंग करते है जिस तरह एग्जामिनेशन हॉल में मिला हुआ पेपर एक तटस्थता भर है आपके प्रयास अगर उचित स्तर के है तो आपके सामने ये बेहतरीन अवसर है अन्यथा ये एक छोटा अवसर था जिसे आपने कोई ईज्जत नहीं दी और बदले में आपकी बेईज्जती हो गई !!

क्या ज़िन्दगी में आपकी  हर समस्या के साथ यही नहीं हो रहा है ? आप बाहर को सुधारने की कोशिश कर रहे है ,या ये उम्मीद कर रहे है कि बाहर सुधर जायेगा और आपके लिए बेहतरीन अवसर पैदा करेगा - आपके अंदर क्या है आप इसे जानना और समझना  ही नहीं चाहते . ये जानिये और समझिए  जब तक आप अंदर से काबिल नहीं बनेंगे बाहर चाहे जितने बड़े अवसर हो आप नाकाम ही रहेंगे .

सचिन तेंदुलकर के लिए जो शॉट आसान है आपके लिए वो मुश्किल है इसकी वजह "बॉल मुश्किल थी" नहीं है बल्कि ये है कि सचिन की तैयारी अंदर से  है जिसे उसने लगातार के अभ्यास से हासिल किया है और आपने तैयारी न करकर एक आसान बॉल की उम्मीद पाल रखी है . अगर सचिन भी आपकी तरह ही सोचता कि आसान बॉल आने पर शॉट मारूंगा तो क्या वो सचिन होता ? उसने प्रत्येक  बॉल को- चाहे वो आसान हो या मुश्किल ,चाहे वो हलकी हो या भारी,चाहे वो छोटी हो या बड़ी एक अवसर की तरह देखा है और खुद को अंदर से मजबूत किया है तो सचिन बाहर से मजबूत है .उसने हर फैंकी हुई बॉल को एक अवसर माना है - छोटा अवसर या बड़ा अवसर नहीं - सिर्फ अवसर और यही  उसकी खासियत उसे सचिन बनाती है .
कृपया ध्यान देवे -अवसर छोटा या बड़ा नहीं होता बल्कि आप छोटे या बड़े होते है -ज़िन्दगी को गलत नंबर के चश्मे से मत देखिये .


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